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लिटन मेमोरियल उर्फ दिल्ली गेट

सिरमौर रियासत के कई अजूबों में से एक है लिटन मेमोरियल उर्फ दिल्ली गेट, नाहन। संभवतः इसे अजूबा कहने के पीछे तात्पर्य यह है कि हिमाचल में कहीं पर भी इस प्रकार का मेरियल या फिर दिल्ली गेट दिखाई नहीं देता। इसे आप क्लाक टावर या फिर घंटाघर भी कह सकते हैं। क्योंकि इस ईमारत की सबसे उचाई वाले भाग पर चारों दिशाओं में चार घडिंया लगाई गईं हैं।

नाहन स्थित इस स्मारक को स्थानीय लोग लिटन मेमोरियल की अपेक्षा इसे दिल्ली गेट या फिर दिल्ली दरवाजा कहना ज्यादा पसंद करते हैं। दिल्ली गेट के नाम से प्रसिद्ध यह स्मारक स्थल सिरमौर और ब्रिटिश शासन के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों के अपने इतिहास को समेटे हुए है।

कहा जाता है कि भारत के वायसराय, लार्ड लिटन के सम्मान में 1877 मंे इस स्मारक स्थल की स्थापना सिरमौर नरेश महाराजा शमशेर प्रकाश द्वारा की गई थी। यह नाहन चैगान के समीप स्थित अत्यंत विचित्र और सुंदर निर्माण। भवनरूपी के नीचे दो गेट बनाए गए हैं जहां से आम जन गुजर सकते थे। किन्तु वर्तमान में यहां पर एक छोटा तोप रखा गया है।

भारत के वायसराय लार्ड लिटन ने वायसराय का पदभार ग्रहण्1 करने के बाद, 1 जनवरी 1877 को दरबार का आयोजन किया था। समझा जाता है कि 1877 में लार्ड लिटन ने दिल्ली में एक दरबार का आयोजन किया था जिसमें भारत के रियासतों के कई राजाओं और राणों और विशेष लोगों सहित कुल 84000 लोगों ने भाग लिया था। समझा जाता है सिरमौर नरेश ने भी इस आयोजन में भाग लिया था। इसी समारोह में ब्रिटेन की महारानी क्वीन विक्टोरिया भारत की महारानी भी घोषित की गई।

 

(नोटः उपलब्ध जानकारी के अनुसार हमने इस आर्टिकल को तथ्यपरक बनाने का प्रयास किया है। यदि आपको इसमें किसी तथ्य,  नाम, स्थल आदि के बारे में कोई सुधार वांछित लगता है तो info@mysirmaur.com पर अपना सुझाव भेंजे हम यथासंभव इसमें सुधार करेंगे)

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