‘यहां भगवान परशुराम 300 सालों से नहीं मिले माता रेणुका से’
सदियों से एक परम्परा कायम है। भगवान परशुराम हर साल अपनी माता रेणुका से मिलने आते हैं। लेकिन आप जानकर हैरान होंगे। करीब 300 साल से अधिक का समय हो गया। यहां भगवान परशुराम अपनी माता रेणुका से नहीं मिले हैं।
भगवान परशुराम...! अपनी माता रेणुका से दिव्य मिलन के लिए। सदियों से तड़प रहे हैं। पर उनकी तड़प, इस उदासीन शहर को दिखाई नहीं देती। माता-पुत्र के मिलन में कहीं नटनी का शाप बाधा तो नहीं बनी हुई है...? कहीं राजनीतिक बार्डर (नाहन-रेणुका) तो आड़े नहीं आ रहा है...? या फिर कहीं हम देव परम्पराओं को भूल तो नहीं बैठे हैं।
मियां मंदिर....! सिरमौर रियासत का मुख्यालय नाहन। यहां स्थित भगवान परशुराम मंदिर को ‘मियां मंदिर’ कहा जाता है। दरअसल, सन 1740 में राजा बिलासपुर के दो भाइयों मियां मलदेव सिंह और मियां कौशल देव सिंह ने इस मंदिर की स्थापना करवाई थी। मियों द्वारा स्थापना के कारण कालांतर में इस मंदिर का नाम मियां मंदिर पड़ा।
कहा जाता है कि मियां मलदेव सिंह और मियां कौशल देव सिंह को राजा बिलासपुर ने निष्कासित किया गया था। उन्होंने सिरमौर रियासत में आकर शरण ली थी। मियां कौशल देव सिंह भगवान परशुराम के परम भक्त बने। उन्होंने सिरमौर नरेश की सहमति से नाहन में परशुराम मंदिर की स्थापना की।
खूबसूरत स्थल पर स्थितः नाहन क्षेत्र में परशुराम मंदिर कहने की अपेक्षा, स्थानीय लोग इसे मियां मंदिर कहना ज्यादा पसंद करते हैं। इसलिए कई बार लोगों को भ्रम हो जाता है। मियां मंदिर या फिर परशुराम मंदिर। मियां मंदिर अत्यंत खूबसूरत और ऊंचाई पर स्थित है। यहां से नाहन के चारों ओर का अत्यंत सुंदर नजारा देखा जा सकता है।
प्रशासन के अधीन है मिंया मंदिरः वर्तमान में मियां मंदिर जिला प्रशासन के अधीन है। मंदिर की हालत ज्यादा अच्छी नहीं है। पुरानी दीवारें जर्जर अवस्था में हैं। जिनकी मुरम्मत की आवश्यकता है। धन के अभाव में मंदिर में रिपेयर कार्य को सही प्रकार से नहीं किया जा सका है।
रेणुका विकास बोर्ड मदद करेः कुछ लोगों का विचार है। रेणुका मेले पर नाच-गान व दूसरे कार्यों पर प्रशासन लाखों रुपये व्यय करता है। किन्तु नाहन क्षेत्र में स्थित इस ऐतिहासिक एवं उपेक्षित परशुराम मंदिर की सुध लेने वाला कोई नहीं है। रेणुका विकास बोर्ड से धन का कुछ अंश नाहन स्थित परशुराम मंदिर में लगाने में कोई हर्ज नहीं है। या फिर इस मंदिर को भी रेणुका विकास बोर्ड से जोड़ दिया जाए। इस बारे में प्रशासन को अवश्य गौर करना चाहिए।
सामाजिक-धार्मिक संस्थाए आगे आएं:दूसरा महत्वपूर्ण सुझाव है। नाहन में कार्यरत सभी सामाजिक-धार्मिक संस्थाएं। मियां मंदिर की हालत सुधारने का कार्य अपने हाथों में लंे। नाहन ब्राहमण सभा इसका नेतृत्व बेहतर ढंग से कर सकती है। सभा के प्रधान श्री सुखदेव शर्मा इस सुझाव पर जरूर गौर करें।
नाहन से भी रेणुका जाए भगवान की पालकीरू भगवान परशुराम नाहन स्थित मियां मंदिर से। पालकी में सजधज कर। माता रेणुका से मिलने हर वर्ष रेणुका जाए तो कितना अच्छा होगा। क्यों न इस साल से ही। इस परम्परा को आरम्भ किया जाए। इससे उपेक्षित पड़े भगवान परशुराम मंदिर का प्रचार-प्रसार भी होगा और इसकी दशा स्वतः सुधर जाएगी।
जय भगवान परशुराम...! जय मां रेणुका...!