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नोटबंदीः हाहाकार के बीच भारतीय राजनीतिक के दो शिखर पुरूष’

नोटबंदी के हाहाकार के बीच...! एक खबर अत्यंत सुकून देने वाली है। राजनीतिक विचारधारा से इतर। नोटबंदी का देश के दो बड़े राजनीतिक शिखर पुरूषों ने। खुलकर दिल से समर्थन किया है। इन दो शिखर पुरूषों में एक हैं। पहाड़ी प्रदेश हिमाचल के मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह। और दूसरे हैं बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतिश कुमार। 
दोनों मुख्यमंत्री ईमानदार, साफ छवि और मिट्टी से जुड़े हुए हैं। जनता से इन्हें भरपूर प्यार और सम्मान मिला है। शायद इसलिए उनके लिए। जनता का प्यार ही असली खजाना है, पूंजी है। 
इन दो राजनीतिक शिखर पुरूषों ने। ब्लैकमनी पर चोट के लिए। नोटबंदी पर अपनी मुहर लगाकर। निश्चित तौर पर साहसिक कार्य किया है। 
पहाड़ी प्रदेश हिमाचल। यहां के कालजेयी मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह। श्री सिंह ने नोटबंदी के दिन से ही इसका समर्थन किया। उन्होंने इस मुहिम को अनकंडिशनल स्पोर्ट किया है। इसके पीछे उनकी ईमानदार सोच थी। जो बिल्कुल साफ थी। ब्लैकमनी किसी भी स्तर पर हो। उसका खात्मा होना चाहिए। फिर इस नोटबंदी का निर्णय कौन नेता लेता है। इससे क्या फर्क पड़ता है। 
हमारे मुख्यमंत्री मात्र एक रुपया प्रतिमाह सेलरी लेते हैं। इस दृष्टि से देखा जाए तो। उन्होंने नोटबंदी का मुख्यमंत्री के रूप में समर्थन कर। एक स्पष्ट संदेश देने का प्रयास भी किया है। ब्लैकमनी पर सर्जिकल स्ट्राईक। पहाड़ों के लिए समस्या नहीं है। बल्कि यह एक शुरूआत है। कालेधन से निजात पानी की। 
अरविंद केजरीवाल...! मुझे नोटबंदी पर। उनकी उत्तेजना समझ नहीं आती। उनके जैसा आम व्यक्ति। जिन्होंने भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने की सौगंध खाकर। दिल्ली की सत्ता हासिल की थी। यकायक उनमें चतुर और घाघ राजनीतिज्ञ की आत्मा कैसे घुस आई। आखिर वे भारतीय राजनीति की। कौन सी नई परिभाषा लिखना चाहते हैं।  
हिमाचल लौटते हैं...! हम पहाडि़यों के पास। ब्लैकमनी को एकत्रित करने की। न तो कोई सोच है। और न ही कोई तरीका हमें आता है। इस स्थिति में ब्लैकमनी हमसे दूर ही तो भागेगी। हां बाहर से यहां आकर बसे कुछ लोगों के पास। ब्लैक मनी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
नोटबंदी पर तटस्थ चर्चा...! हिमाचल के संदर्भ में। इस पर तटस्थ चर्चा होनी चाहिए। हिमाचल में हम देखते हैं। जनजीवन सामान्य है। कहीं भी अफरा-तफरी नहीं फैली है। किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है। हिमाचल के लोगों को तकलीफ नहीं है। प्रदेश के लोग भी बैंक/एटीएम के बाहर लाईनों में लगे हैं। उन्हें भी थोड़ी दिक्कत उठानी पड़ी है। पर हम लोगों ने। इस ब्लैकमनी पर। सर्जिकल स्ट्राईक को एकदम खारिज तो नहीं किया।  
एक बात और कहना चाहता हूं...! दिल्ली हिन्दुस्तान का दिल हो सकता है...! पर आत्मा नहीं..! 
इस दृष्टि से दिल्ली में नोटबंदी की समस्या को। जिस प्रकार मीडिया और सोशल मीडिया मंे प्रचारित किया जा रहा है। वह संपूर्ण भारत की तस्वीर नहीं हैं। यह मूलतः नेगेटिव प्रचार है। क्योंकि मीडिया में कहावत है ‘‘कुत्ता यदि आदमी को काट ले। यह खबर नहीं है। पर यदि आदमी कुत्ते को काट ले यह ब्रेकिंग न्यूज है।’’ 
इसलिए...! हम पहाड़ी लोगों को। दिल्ली और दूसरे राज्यों की खबरों पर। ज्यादा उत्तेजित होने की आवश्यकता नहीं है। हमें अपने परिवार और मित्रजनों का सहयोग करना चाहिए। चिकित्सा उपचार, विवाह या अन्य कोई ईमरजेंसी हो। आप आगे बढ़कर उनकी मदद करें। 
सोशल मीडिया पर...! पोस्ट लिखकर। या चौराहे पर खड़े होकर लफ्फेबाजी कर...! अपनी बहादुरी न बघारें...!