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गाय के गोबर से गमले बनाने की मशीन का उपायुक्त ने किया शुभारंभ

प्लास्टिक और पॉलिथीन के प्रयोग को और कम करने की दिशा में जिला सिरमौर में एक और नई पहल की शुरूआत करते हुए, उपायुक्त डॉ आर के परूथी ने आज यहाँ माता बाला सुंदरी गौशाला से गाय के गोबर से गमले बनाने की मशीन का शुभारंभ किया।

      उन्होंने बताया इस गौशाला में पहले गाय के गोबर के गोकाष्ठ बनाने की मशीन स्थापित की गई थी जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। उसी की सफलता के बाद आज गाय के गोबर से गमले बनाने की मशीन का शुभारंभ किया गया है।
     उन्होंने बताया की वन विभाग की नर्सरी में एजिंग के लिए 10,000 से अधिक पॉलिथीन का प्रयोग होता है जिससे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है। इस प्रयोग को काम करने के लिए यह मशीन स्थापित की गई है। इन गमलों को बनाने का उद्देश्य प्लास्टिक व पॉलीथीन के इस्तेमाल को और काम करना तथा पशुपालकों को गाय के गोबर के उपयोग से अपनी आर्थिकी सुधरने के लिए प्रेरित करना है। गाय के गोबर से बने गौकाष्ठ व गमले बना कर पशुपालक अच्छी आमदनी तो कमा ही सकते हैं और इससे निराश्रित पशुओं की समस्या का भी हल होगा।
     डॉ परूथी ने बताया की गाय के गोबर से बने गमलों की सुदृढ़ता कीे जाँच के लिए सीएसआईआर पालमपुर से संपर्क किया जा रहा है जिसके बाद यह गमले बाजार में पौधे के साथ खरीदने के लिए उपलब्ध होंगे।
    सहायक निदेशक एवं सचिव, एसपीसीए, डॉ नीरू शबनम ने जानकारी देते हुए बताया की गाय के गोबर से बने इन गमलों में मिटटी और राख का भी प्रयोग किया गया है। उन्होंने बताया की 60ः40 के अनुपात से 60 प्रतिशत गोबर और 40 प्रतिशत मिटटी और राख को रखकर गमले तैयार किये जा रहे हैं। फिलहाल गमले तीन साइज 6 इंच, 10 इंच और 12 इंच में बनाये जायेंगे  और इन्हे वन विभाग को नर्सरी के लिए दिया जायेगा।
     उन्होंने बताया की इन गमलों की विशेषता यह है की इन्हे गड्ढे में सीधा रोपित किया जा सकता है तथा इस तरह पौधे को अतिरिक्त खाद की भी आवश्यकता नहीं रहेगी। सीएसआईआर पालमपुर से इन गमलों की मजबूती कीे जाँच करवायी जा रहा है ताकि इन गमलों को लाने व ले जानें में टूट-फूट की सम्भावना को कम किया जा सके।
डॉ नीरू शबनम ने बताया की अगर कोई संस्था, मंडल या कोई व्यक्ति गाय के गोबर से गमले बनाने की विधि व इस मशीन को चलाने का प्रशिक्षण लेना चाहता है तो वह गौशाला में संपर्क कर सकता है।
इस अवसर पर मुख्य वन संरक्षक भूपेन्द्र सिंह राणा भी उपस्थित थे।